रेपो रेट क्या है? | Repo Rate Kya Hai (2024)

Repo Rate Kya Hai in Hindi: रेपो दर “पुनर्खरीद दर” के लिए संक्षिप्त है, वह दर है जो कि देश की सेंट्रल बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित Interest Rate होता है जिस रेट पर कमर्शियल बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से सेंट्रल बैंक यानि Reserve Bank of India (RBI) उनके सिक्योरिटीज को खरीदने के लिए पैसे उधार देती है।

‘Repo’ शब्द ‘पुनर्खरीद विकल्प (Repurchasing Option) या पुनर्खरीद समझौते (Repurchasing Agreement) को दर्शाता है। जब Commercial Banks को अपनी आरक्षित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है, तब वाणिज्यिक बैंक रेपो दर पर केंद्रीय बैंक RBI को Securities को भविष्य की तारीख में पुनर्खरीद करने के समझौते के साथ कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर बेच सकते हैं।

रेपो दर का उपयोग केंद्रीय बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में धन आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, Repo Rate की मदद से केंद्रीय बैंक प्रभावित करता है कि बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों के लिए लोन और क्रेडिट सुविधाएं कितने अधिक या कम रेट पर प्रदान करेंगे।

रेपो रेट से बैंकों को पैसा लेना या उधार देना दोनो प्रभावित हो सकते हैं, जिससे इकॉनमी में नकदी और महंगाई के स्तर का रखरखाव किया जा सकता है।

जब सेंट्रल बैंक रेपो रेट को बढ़ाता है, तब बैंको से शिक्षा लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि के ब्याज दर पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण बैंकों के ग्राहकों को लोन और क्रेडिट फैसिलिटीज के लिए अधिक इंटरेस्ट देना होता है, जिससे उनकी उधार दर बढ़ जाती है।

इससे ऋण के लिए ब्याज दर अधिक होने से लोगों के पास कम पैसे बचते हैं और इसके लिए उनकी खर्च और बचत कम हो जाती है। इससे अर्थव्यवस्था में महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है।

इसके विपरीत, जब Central Bank रेपो रेट को कम करता है, तब बैंकों के ग्राहकों को लोन और क्रेडिट सुविधाओं के लिए कम ब्याज देना होता है, जिसकी उधार दर कम हो जाती है।

इसके लोन के लिए ब्याज दर कम होने से आम लोगों को कुछ राहत मिलता है और लोगो के पास अधिक पैसे बचते हैं, और इसके लिए उनकी खर्च और बचत बढ़ जाती है। इससे इकॉनमी में लिक्विडिटी को बढ़ाया जा सकता है।

RBI रेपो रेट क्या होता है? – Repo Rate Kya Hota Hai

भारतीय रिजर्व बैंक जिस ब्‍याज दर पर कमर्शियल बैंकों को लोन के रूप में कर्ज यानि पैसे उधार देता है, उसे Repo Rate कहा जाता है।

आरबीआई से प्राप्त कर्ज से बैंक ग्राहकों को लोन उपलब्ध करवाते है। अगर आरबीआई मुद्रास्फीति की स्थिति में रेपो रेट को बढ़ाता है तो ऐसी स्थिति में बैंको से मिलने वाले होम लोन, शिक्षा लोन, व्हीकल लोन, बिज़नेस लोन के ब्याज दरो में बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

ग्राहकों को बैंको से मिलने वाले होम लोन, शिक्षा लोन आदि पर अधिक ब्याज देना होता है। वही अगर RBI रेपो रेट को कम करता है तब ग्राहकों को बैंको से मिलने वाले होम लोन, शिक्षा लोन, व्हीकल लोन, बिज़नेस लोन के लिए कम ब्याज देना होता है।

रेपो रेट एक महत्वपूर्ण मौद्रिक नीति उपकरण है, जिससे सेंट्रल बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक अपनी देश की आर्थिक स्थितियों की निगरानी करता है और मौद्रिक नीति के जरिए उसमें बदलाव ला सकता है।

रेपो रेट का प्रभाव अर्थव्यवस्था के ऊपर होता है, जैसे कि ऋण, क्रेडिट कार्ड, गिरवी, बचत खाते और निवेश साधनों के ब्याज दरों में परिवर्तन ला सकता है। 

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जब रेपो रेट को आरबीआई के द्वारा बढ़ाया जाता है, तब बैंक भी अपने लोन और क्रेडिट कार्ड के ब्याज दरों में बदलाव करते हैं, जबकी बचत खाता और निवेश के ब्याज दरों को कम कर देते हैं।

जब रेपो रेट को कम किया जाता है, तब बैंक अपने लोन और क्रेडिट कार्ड के इंटरेस्ट रेट को कम कर देते हैं, जबकी सेविंग अकाउंट और इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के इंटरेस्ट रेट को बढ़ा देते हैं।

भारत में वर्तमान रेपो दर कितना है?

भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्तमान में रेपो रेट में 8 फरवरी 2023 को 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की है। RBI ने रेपो रेट 6.25% प्रतिशत से बढ़ाकर 6.50% प्रतिशत कर दिया है।

भारतीय बैंकिंग में RBI द्वारा लागू नई नीतिगत दरें

SLR, CRR, आरबीआई Repo Rate के लिए नई आरबीआई दरें, 05 अप्रैल, 2024 से

SLR Rate18.00%
CRR4.50%
Repo Rate6.50%
Reverse Repo Rate3.35%
MSF6.75%
Bank Rate6.75%
Standing Deposit Facility Rate6.25%

RBI द्वारा नई उधार/जमा दरें 2024

RBI द्वारा नई उधार/जमा दरें (Deposit Rates), 08 फरवरी, 2023 से

Base Rate8.85% – 10.10%
MCLR (Overnight)7.95% – 8.35%
Savings Deposit Rate2.70% – 3.00%
Term Deposit Rate > 1 Year6.00% – 7.25%

रिवर्स रेपो रेट क्या है? – Reverse Repo Rate Kya Hai

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट: रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जब कॉमर्शियल बैंक अपने अधिशेष धन को RBI के पास जमा करवाते है, तो बैंको के द्वारा जमा की गयी धनराशि पर भारतीय रिजर्व बैंक से एक निश्चित दर पर ब्याज प्राप्त होता है। RBI से प्राप्त होने वाली इस निश्चित दर को रिवर्स रेपो रेट कहते है।

रिवर्स रेपो दर बाजार में नकदी की तरलता से नियंत्रित होती है। कॉमर्शियल बैंक अधिक ब्याज अर्जित करने के लिए कई बार आरबीआई के पास अधिकतम राशि जमा करता है।

CRR क्या है?

बैंकिंग नियमों के अनुसार देश के सभी बैंकों को अपनी कुल जमा राशि के एक निश्चित हिस्‍से को रिजर्व बैंक यानि RBI के पास पड़ता है। इसे Cash Reserve Ratio (CRR) कहते है।

यह बाजार में नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करने का एक उपकरण है इसके अलावा, बैंक की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

SLR क्या है?

बैंक जिस दर से अपनी जमा राशि को सरकार के पास रखती है, उसे Statutory Liquidity Ratio (SLR) कहते है। इसका उपयोग नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

वाणिज्यिक बैंकों को एक विशिष्ट राशि जमा करनी होती है ताकि इसका उपयोग किसी भी समय आपातकालीन लेनदेन को पूरा करने के लिए किया जा सके।

जब RBI ब्याज दरों में बिना किसी बदलाव के नकदी की तरलता को कम करना चाहता है, तो ऐसी स्थिति में आरबीआई नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को बढ़ाता है, जिससे वाणिज्यिक बैंकों के पास ग्राहकों को लोन या उधार देने के लिए कम पैसा बचता है।

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