SIP कैसे काम करता है और इसके प्रकार? | How SIP Work In Hindi?

यदि आप SIP के साथ अपनी निवेश यात्रा की शुरुआत कर रहे है, तो SIP कैसे काम करते हैं? यानि How SIP Work इसे समझने से आपको एक मजबूत वित्तीय नींव बनाने में मूल्यवान दर्शन प्राप्त हो सकता हैं।

आज फाइनेंस और निवेश की दुनिया में Systematic Investment Plans (SIP) ने लॉन्ग टर्म में धन सृजन की संभावना के कारण और सरल निवेश विकल्प पेश करके विशेष प्रसिद्धि हासिल की है।

SIP निवेश में एक अनुशासित दृष्टिकोण प्रदान करता है जिससे इन्वेस्टर को निवेश बाजार में भाग लेने और अपने निवेश के जरिये संभावित लाभ कमाने का अवसर मिलता है। एसआईपी आपकी दीर्घकालिक वित्तीय आकांक्षाओं को प्राप्त करने में एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है।

जैसा की आपको पता ही होगा कि एसआईपी (SIP) एक व्यवस्थित निवेश योजना है इसके जरिए आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है। इसमें आप बड़ी रकम निवेश न करके समय-समय पर एक छोटी राशि के साथ निवेश कर सकते है।

लेकिन इस आर्टिकल के जरिये आप एसआईपी कैसे काम करता है? How SIP Work और SIP कैसे शुरू करें? इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते है। ताकि आप एसआईपी यात्रा शुरू करके एक सुरक्षित वित्तीय भविष्य की ओर अपने कदम बढ़ा सकें।

एसआईपी कैसे काम करता हैं? – How Does SIP Work In Hindi? 

Systematic Investment Plan (SIP) यानि व्यवस्थित निवेश योजना म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करने का एक अनुशासित तरीका है। यह आपको नियमित अंतराल पर, आमतौर पर मासिक, त्रैमासिक, छमाही या वार्षिक से एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्टमेंट करने की अनुमति देता है।

SIP का उद्देश्य आपके इन्वेस्टमेंट को समय के साथ फैलाकर बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करना है, जिससे मार्केट के समय को ठीक करने के साथ होने वाले जोखिम (Risk) को कम किया जा सके।

यदि आप हर महीने किसी Mutual Funds में पैसा इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो आपको एसआईपी करना होगा, इसके बाद आपका पैसा आपके बैंक खाते से ऑटोमेटिक तरीके से कट जाएगा और आपके द्वारा खरीदे गए म्यूचुअल फंड खाते में पैसा जमा कर दिया जायेगा।

म्यूचुअल फंड आपके बैंक खाते से निर्दिष्ट राशि लेकर आपको उस राशि की इकाई (Unit) आवंटित करता है। यह यूनिट आपके म्यूचुअल फंड अकाउंट में जुड़ जाता है। Mutual Funds के एक Unit के वैल्यू को NAV कहते हैं । NAV का फुल फॉर्म Net Asset Value है। NAV का रेट बढ़ने के साथ आपके द्वारा निवेश की गई राशि भी बढ़ती है।

इसके अलावा, एसआईपी अलग-अलग सिद्धांतो पर कार्य करती है आप इसके बारे में उदाहरण के साथ समझ सकते है। 

रुपये का मूल्य औसतीकरण – SIP के पीछे एक मुख्य अवधारणा में रुपये की वैल्यू औसतीकरण शामिल है। इस रणनीति में आप मूल्य कम होने पर अधिक यूनिट खरीदते हैं और मूल्य अधिक होने पर आप कम यूनिट खरीदते हैं। आइए इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझें:

मान लीजिये आप SIP के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड में ₹10000 का इन्वेस्टमेंट करते हैं। पहले महीने, यूनिट का मूल्य ₹1000 है, तब आपको इससे 10 यूनिट मिलता हैं। दूसरे महीने, जब यूनिट का मूल्य ₹800 हो जाता है, तब  आपको 12.5 यूनिट खरीदने की अनुमति मिलती है।

मात्र यूनिट की वैल्यू में कमी होने के बावजूद, आपके इन्वेस्टमेंट ने आपको अधिक यूनिट का संचय करने की अनुमति दी। समय के साथ, यह रणनीति संभावत: प्रति यूनिट की औसत मूल्य (Value) में कमी के दिशा में जा सकती है।

परिस्थितिकी योजना की शक्ति – यहां एक और बुनियादी सिद्धांत है जो SIP को एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाता है – पारिस्थितिक योजना की शक्ति।

कंपाउंडिंग एक कांसेप्ट है जिसमें कम से कम पिछली अवधि से बचत या लाभ न केवल आपके शुरुआती इन्वेस्टमेंट पर, बल्कि उस संचित ब्याज से भी होता है। 

यानि आपको आपके निवेश पर जो रिटर्न मिलता है आप उस रिटर्न पर भी रिटर्न का लाभ प्राप्त कर सकते है।  जितना आप निवेशित रहते हैं, परिस्थितियां उतनी ही अधिक आपको प्रभावित कर सकती हैं।

उदाहरण के रूप में, मान लीजिये एक व्यक्ति 8% प्रति वर्ष की औसत लाभदायक दर पर ₹20,000 प्रति महीने के साथ एक SIP शुरू करता है। 10 वर्षों के बाद, निवेश की गई राशि ₹24,00,000 हो सकती है, लेकिन परिस्थितिकी की वजह से निवेश की वैल्यू लगभग ₹36,30,000 हो सकती है।

एसआईपी कैसे शुरू करें? – How To Start SIP?

SIP को शुरू करना बहुत सरल है। आप एसआईपी में डायरेक्ट प्लान या रेगुलर प्लान से इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं। 

डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) में कोई बिचौलिया या ब्रोकर नहीं होता है। इसमें आप डायरेक्ट Asset Management Company (AMC) के माध्यम से किसी भी कंपनी की स्कीम में Investment कर सकते हैं। इससे अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।

एसआईपी को म्यूचुअल फंड की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये ऑनलाइन शुरू किया जा सकता है। SIP शुरू करने के लिए सबसे पहले KYC कराना होता है। केवाईसी के लिए कुछ जरुरी डॉक्यूमेंट जैसे: PAN कार्ड, Aadhaar कार्ड, निवेश की जाने वाली राशि का चेक और एक पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होती है।

लेकिन यह शुरुवात करने वाले नए निवेशक के लिए ज्यादा उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उन्हें गाइड करने वाला कोई नहीं होता है, जिसके कारण इससे नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। ज्यादा व सही जानकारी न होने के कारण विश्लेषण करना कठिन होता है, जिसके कारण नुकसान झेलना पड़ता है।

रेगुलर प्लान (Regular Plan) में बिचौलिया या ब्रोकर शामिल होता है, इसमें ब्रोकर संपत्ति प्रबंधन कंपनी (AMC) से स्किम खरीदता है। जिसके बाद वे Investor के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करवाते है। निवेशक के जरिये निवेश करने पर नए निवेशक को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है।

लेकिन इसमें दलाल (Broker) अपनी शुल्क लेते है। अधिकतर निवेशक रेगुलर प्लान योजना में इन्वेस्टमेंट करना पसंद करते हैं। क्योकि ब्रोकर निवेशक को सही mutual fund में निवेश करने की सलाह देता है।

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एसआईपी के प्रकार – What Are The Types of SIP?

  • टॉप-अप एसआईपी (Top-Up SIP)
  • लचीला एसआईपी (Flexible SIP)
  • ट्रिगर एसआईपी (Trigger SIP)
  • पर्पेचुअल एसआईपी (Perpetual SIP)

टॉप-अप एसआईपी (Top-Up SIP)

यह निवेश योजना आपको समय के साथ अपने निवेश की राशि को बढ़ाने में सक्षम बनाती है। टॉप-अप एसआईपी आप तब शुरू कर सकते है जब आप अपने काम में आगे बढ़ते रहते है और अधिक कमाई करने लगते है। 

ऐसे में अगर आप अपने निवेश को बढ़ाना चाहते तो आप टॉप-अप SIP को चुन सकते है। इसमें आप नियमित समय अंतराल पर अपनी तय निवेश राशि में वृद्धि करके निवेश कर सकते है। 

लचीला एसआईपी (Flexible SIP)

यह निवेश योजना अधिक लचीला होता है। फ्लेक्सिबल एसआईपी निवेश योजना के तहत निवेश की जाने वाली राशि को नकदी प्रवाह और निवेशक की जरूरतों या प्राथमिकताओं के अनुसार बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

ट्रिगर एसआईपी (Trigger SIP)

ट्रिगर SIP निवेश योजना के तहत निवेशक एसआईपी की आरंभ निवेश की तिथि को निर्धारित कर सकते है। यदि बाजार में अस्थिरता आती है तो यह आपको अपने एसआईपी को बदलने की सुविधा देता है यानि आप अन्य योजना पर स्विच कर सकते है। 

पर्पेचुअल एसआईपी (Perpetual SIP)

पर्पेचुअल एसआईपी में की कोई परिपक्व अवधि नहीं होती है यानि निवेश की समय समाप्ति तिथि तय नहीं होती है। निवेशक बिना किसी अनिवार्य तारीख के तब तक निवेश कर सकता है जब तक वह उसे रोकना न चाहे। 

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