Republic Day 2024 Sales: यहां पर नो-कॉस्ट ईएमआई और BNPL जैसे फाइनेंसियल ऑप्शन के बारे में बात की गई है जोकि रिपब्लिक डे सेल के दौरान काफी लोकप्रिय होते है। यहां कस्टमर को No-cost EMI से संबंधित शुल्क और प्रोसेसिंग फीस के बारे बताया गया है।
आपको ET के द्वारा लिस्टेड नो-कॉस्ट ईएमआई के बारे में जानना आवश्यक है कि उनकी कीमत कैसे होती है और कंस्यूमर और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स में इसका क्या मतलब है।
नो-कॉस्ट ईएमआई (Republic Day 2024 Sales)
नो कॉस्ट ईएमआई जिसे जीरो कॉस्ट ईएमआई भी कहा जाता है, इसे रिटेलर के द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प में पेश किया जाता है। यह एक वित्तपोषण विकल्प है, जिसका मतलब है कि बिना किसी अतिरिक्त लागत के आसान किस्तों (EMI) में केवल प्रोडक्ट की वास्तविक कीमत का भुगतान करना हैं।
अगर आपने क्रेडिट पर किसी आइटम की खरीदारी की है, तो आपको मूलधन पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना होगा। अमेज़न ने बताया कि अक्टूबर 2023 में ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में, चार में से एक खरीदारी ईएमआई से गई थी, जबकि चार में से तीन उत्पाद नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिए बेचे गए।
छिपे शुल्क और मूल्य निर्धारण संरचना
नो-कॉस्ट ईएमआई योजना 0 प्रतिशत ब्याज का दावा करती है। वर्ष 2013 में आरबीआई ने उचित मूल्य निर्धारण प्रथाओं का उल्लंघन करने वाले योजनाओं के प्रति सजग किया था। कुछ मामलों में अग्रिम भुगतान में छूट की कमी हो सकती है, जिसका असर बयर पर होता है। क्रेडिट कार्ड पर शून्य प्रतिशत EMI प्रोसेसिंग फीस के भीतर ब्याज को छुपा देता है।
नो-कॉस्ट ईएमआई शब्द लोगों के बीच भ्रम पैदा करती है, क्योंकि ब्याज लागत अंतर्निहित होती है, चाहे वह दिखाई दे या नहीं। अक्सर लागत ईएमआई में शामिल होता है। जोकि प्रोडक्ट की कुल लागत को प्रभावित कर सकता है, सेलर अधिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए अक्सर ब्याज घटक को अवशोषित करते हैं।
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ऋणदाताओं और विक्रेताओं के लिए लाभ
यहां पर ऋणदाताओं और विक्रेताओं दोनों को प्रोसेसिंग फीस के जरिये प्राप्त होने वाले आय से लाभ होता है। यह लाभ उस स्थिति में भी होता है जब उपभोक्ता को EMI के माध्यम से छूट दिया जाता है। वित्तपोषण से जुड़ी लागतों को प्रोडक्ट के सेलिंग प्राइस में जोड़ा जाता है, जिससे विक्रेताओं को उनकी सेल वॉल्यूम को बढ़ाने में मदद मिलती है।
RBI के बढ़े हुए जोखिम भार का प्रभाव
असुरक्षित लोन जैस पर्सनल और रिटेल लोन पर RBI के बढ़े हुए जोखिम भार से नो-कॉस्ट ईएमआई योजनाओं पर असर पड़ सकता है। आरबीआई के बढे रिस्क वेट से इन लोन पर लगने वाला ब्याज दर अधिक हो सकता है जोकि विक्रेताओं को प्रभावित कर सकता है। जिस कारण से विक्रेता शुद्ध प्राप्तियां को बनाय रखने के लिए प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ा सकते है।
निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने में आरबीआई की भूमिका
वर्ष 2022 में ही आरबीआई के द्वारा कहा गया था की क्रेडिट कार्ड लेनदेन को ईएमआई में बदलने में पारदर्शिता का ध्यान रखा जाए। कार्ड जारीकर्ताओं से रूपांतरण से पहले मूलधन, इंटरेस्ट और एडवांस डिस्काउंट को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने का अनुरोध किया, जिससे आरबीआई ने ब्याज को zero cost EMIs के रूप में छिपाने से रोकने के लिए खुलासे की मांग की थी।
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