शेयर मार्किट व्यापार में CE Full Form और इसके महत्व को समझना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शेयर बाजार की गतिशील दुनिया में कदम रखने के लिए CE Full Form in Share Market को जानना आवश्यक है।
शेयर मार्किट में CE एक ऐसा कांसेप्ट है जो ट्रेडिंग से जुड़ा है। यह निवेशकों को अंतर्निहित परिसंपत्तियों के स्वामित्व के बिना मूल्य चलनों का लाभ उठाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान करता हैं।
शेयर मार्किट में जो निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग करते है वहां उन्हें कसर CE देखने को मिला होगा। CE भी शेयर बाजार की एक महत्वपूर्ण इकाई है जो आपके व्यापार में लाभ कमाने के लिए जरुरी है।
इस लेख में हम आपको CE Full Form in Hindi और CE in Share Market की व्यापक समझ प्रदान करेंगे साथ ही इस लेख के माध्यम से आप CE के पूर्ण रूप को जान सकते है।
CE Full Form – शेयर मार्किट में CE का फुल फॉर्म “Call European” है इसे ही Call Option के रूप में जाना जाता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग CE और PE पर निर्भर करता है। जैसा की हमने बताया Call European को ही कॉल ऑप्शन कहते है। कॉल का सीधा अर्थ यह है कि, पहले से ही किसी इंडेस्क्स और स्टॉक की कीमतों के ऊपर जाने का अनुमान लगा कर हम शेयर खरीदते हैं।
यहां आपको समझने की जरूरत है कि कॉल के साथ यूरोपियन इसलिए है क्योकि ऑप्शन ट्रेडिंग में यह कांसेप्ट यूरोप के लोगों के द्वारा लाया गया था। इसीलिए CE की फुल फॉर्म Call European हो जाता है लेकिन इसे Call Option कहा जाता है।
कॉल ऑप्शन एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के रूप में शेयर मार्किट में काम करता है। जो ऑप्शन खरीदार को एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर एक स्ट्राइक प्राइस यानि पूर्व निर्धारित मूल्य पर परिसंपत्ति जैसे स्टॉक, बांड, कमोडिटी आदि को खरीदने की अनुमति देता है। Call Option (CE) को आमतौर पर वित्त की दुनिया में सट्टेबाजी, हेजिंग और जोखिम प्रबंधन के उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग में जब आप किसी भी कंपनी के शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदते हैं तो वास्तव में आप उस शेयर की कीमत बढ़ने का दांव लगा रहे होते है। यहां आप उस शेयर को खरीदने के लिए बाध्यता नहीं है यानि यह जरूरी नहीं है कि आपको वह परिसंपत्ति खरीदना ही होगा।
अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying asset): कॉल ऑप्शन का मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति से प्राप्त होता है, जो स्टॉक, कमोडिटी, मुद्राएं या अन्य वित्तीय उपकरण हो सकते हैं।
स्ट्राइक मूल्य (Strike Price): स्ट्राइक मूल्य पूर्व निर्धारित मूल्य है जिस पर कॉल ऑप्शन के धारक को अंतर्निहित परिसंपत्ति खरीदने का अधिकार है। यह तब तय होता है जब ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बनाया जाता है।
समाप्ति तिथि (Expiration date): समाप्ति तिथि वह तिथि है जिस पर या उससे पहले कॉल ऑप्शन का प्रयोग करना होता है। यदि ऑप्शन होल्डर स्ट्राइक प्राइस पर अंतर्निहित परिसंपत्ति खरीदना चाहता है। एक्सपायरी डेट के बाद विकल्प बेकार हो जाता है।
प्रीमियम (Premium): अंतर्निहित परिसंपत्ति खरीदने का अधिकार प्राप्त करने के लिए विकल्प खरीदार यानि ऑप्शन होल्डर के द्वारा ऑप्शन विक्रेता (लेखक) को भुगतान की गई कीमत प्रीमियम है।
यह ऑप्शन को होल्ड करने की लागत का प्रतिनिधित्व करता है और अंतर्निहित परिसंपत्ति के मौजूदा बाजार मूल्य, स्ट्राइक मूल्य, समाप्ति का समय, निहित अस्थिरता और मौजूदा मार्किट कंडीशन जैसे कारकों से प्रभावित होता है।
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कॉल ऑप्शन का उदाहरण – Understanding Call Options (CE) Through Examples
जैसे कि हमने पहले ही आपको बताया है कि कॉल ऑप्शन (CE) एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के रूप में काम करता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप प्रौद्योगिकी कंपनी के स्टॉक पर कड़ी नजर रख रहे हैं, जो अपने इनोवेटिव (Innovative) उत्पादों के लिए जानी जाती है।
वर्तमान में, कंपनी का स्टॉक 50 रुपय प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आपका मानना है कि प्रत्याशित उत्पाद लॉन्च के कारण अगले कुछ महीनों में कंपनी का स्टॉक बढ़ेगा।
कॉल ऑप्शन उदाहरण के घटक (Components of a call option)
अब आप यहां उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है कि कॉल ऑप्शन के घटक कैसे काम करते है :
- अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Asset): प्रौद्योगिकी कंपनी का स्टॉक
- स्ट्राइक मूल्य (Strike Price): 55 रुपय प्रति शेयर (वह सहमत मूल्य जिस पर आप बाद में स्टॉक खरीद सकते हैं।)
- समाप्ति तिथि (Expiration date): अब से तीन महीने बाद
आप कॉल ऑप्शन खरीदकर कंपनी के स्टॉक पर अपने तेजी के दृष्टिकोण का लाभ उठाने का निर्णय लेते हैं।
आप एक कॉल ऑप्शन अनुबंध (Contract) खरीदते है। जो आपको 55 रूपए प्रति शेयर के स्ट्राइक मूल्य पर कंपनी के 100 शेयर खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
यानि कि तीन महीने के भीतर आप कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक 55 रूपए प्रति शेयर पर 100 शेयर खरीदेंगे। अगले तीन महीने के भीतर सहमत मूल्य पर स्टॉक खरीदने के विशेष अधिकार के लिए आपको एक छोटा सा शुल्क अग्रिम भुगतान करना होगा। ऐसे में आप कॉल ऑप्शन अनुबंध के लिए 200 रूपए का प्रीमियम भुगतान करते हैं।
संभावित नतीजे:
अगर स्टॉक मूल्य में वृद्धि होती है तो:
स्टॉक मूल्य में वृद्धि की स्थिति में अगर तीन महीनों के भीतर, कंपनी का शेयर मूल्य बढ़कर 65 रूपए प्रति शेयर हो गया। तो अपने कॉल ऑप्शन के साथ, आप 55 रूपए प्रति शेयर के निचले स्ट्राइक मूल्य पर 100 शेयर खरीद सकते हैं।
यानि प्राइस बढ़ने पर भी आप अपने कॉन्ट्रैक्ट के बेस पर उस कीमत पर शेयर खरीद सकते है जो कीमत तय हुई थी। अब आप इन शेयरों को स्ट्राइक प्राइस 55 रूपए प्रति शेयर पर खरीद कर खुले बाजार में 65 रूपए प्रति शेयर की मौजूदा कीमत पर तुरंत बेच सकते हैं।
आपके लाभ की गणना: (Rs.65 – Rs.55) * 100 – Rs.200 (प्रीमियम) = Rs.1,000 – Rs.200 = Rs.800
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अगर स्टॉक की कीमत अपरिवर्तित रहती है तो :
अगर स्टॉक 50 रूपए प्रति शेयर पर ही रहता है। चूंकि कीमत अपरिवर्तित रहती है, स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर नहीं बढ़ी इसलिए आप ऑप्शन का प्रयोग न करने का विकल्प चुन सकते हैं। इस स्थिति में आपका नुकसान भुगतान किए गए प्रीमियम तक सीमित होगा, जो कि 200 रूपए है।
स्टॉक मूल्य में गिरावट:
यदि कपंनी का स्टॉक मूल्य 45 रूपए प्रति शेयर तक गिर जाता है, तो आपका कॉल ऑप्शन लाभदायक नहीं हो सकता है।
आप अपने CE (कॉल ऑप्शन) का प्रयोग न करने का भी विकल्प चुन सकते हैं, क्योंकि बाजार मूल्य घटकर 45 रूपए हो जाता है तो ऐसे में उच्च स्ट्राइक मूल्य (55 रूपए) पर खरीदारी करने का कोई फायदा नहीं होगा।
यदि ऑप्शन का प्रयोग नहीं करते है तो आपका नुकसान केवल भुगतान किए गए प्रीमियम तक सीमित होगा, जो कि 200 रूपए है।
निष्कर्ष:
कॉल ऑप्शन भविष्य में किसी भी उत्पाद को निश्चित मूल्य पर खरीदने का अधिकार सुरक्षित रखने जैसा है, भले ही उसकी वास्तविक बाजार कीमत कुछ भी हो।
हालांकि Call Option (CE) लाभ के अवसर प्रदान करता हैं, लेकिन वह कुछ जोखिमों के साथ आते हैं, क्योंकि कॉल ऑप्शन खरीदने में पहले ही प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
जो शेयर मार्केट ट्रेडिंग में कदम रखने के बारे में सोच रहे है उनके लिए कॉल ऑप्शन (CE) के मतलब और महत्व को समझना बहुत आवश्यक है।
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