Types of Trading in Stock Market in Hindi: स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग का मतलब कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए स्टॉक, बॉन्ड या किसी अन्य प्रतिभूतियों की खरीद वह बिक्री करना है।
भारत में स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) यह भारत का पहला स्टॉक एक्सचेंज है जहां ट्रेडिंग होती है। स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग एक ऐसा विकल्प है जो आपको लाखों का मुनाफा दे सकता है।
पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार की ओर लोगों का रुझान काफी बढ़ता हुआ देखा गया है। लोग कम समय में अधिक आय अर्जित करने के उद्देश्य से शेयर बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।
शेयर बाजार में कई तरह की ट्रेडिंग होती है। अक्सर व्यापारी वही ट्रेडिंग विकल्प चुनते हैं जो उनके लिए उपयुक्त होता है। लेकिन कई बार नए ट्रेडर को ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी न होने और अपने लिए सही ट्रेडिंग विकल्प न चुन पाने के कारण वे बाजार में अपनी पूंजी खो बैठते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि शेयर बाजार जोखिम से भरा होता है इसलिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू करने से पहले सभी प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में पता होना चाहिए।
क्योंकि जब आप अलग-अलग ट्रेडिंग के बारे में जानेंगे तो आप आसानी से अपने ट्रेडिंग मनोविज्ञान के अनुसार यह चुन सकेंगे कि आपको कौन सी ट्रेडिंग करनी चाहिए।
ट्रेडिंग क्या है? – What is Types of Trading in hindi
स्टॉक बाजार में ट्रेडिंग वह प्रक्रिया है जिसके जरिये स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनी के शेयर की खरीद और बिक्री की जाती है। यहां व्यापारी किसी सूचीबद्ध कंपनी के शेयर कम कीमत पर खरीदकर और कीमत अधिक होने पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं।
जैसा की आपको पता है कि शेयर मार्किट में ट्रेडिंग काफी रिस्की होता है क्योकि शेयर के प्राइस तेजी से बढ़ते और घटते है। शेयर बाजार में ट्रेंडिंग के कई तरीके मौजूद है जिनसे कम समय में लाभ प्राप्त किया जा सकता है वहीं इनमे जोखिम शामिल होने के कारण यह आपको नुकसान भी पहुँचता है।
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Types of Trading in Stock Market
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के कई प्रकार है, जिसके बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया हुआ है:
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग को Day Trading के नाम भी जानी जाती है, यानि अपने स्टॉक मार्किट के Duration में कोई शेयर खरीदा और उसे उसी दिन बेच दिया, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है। इसमें शेयर मार्किट के ओपन होने के समय से लेकर मार्केट के बंद होने तक शेयर की खरीद और ब्रिक्री कर सकते है।
ट्रेडिंग की टाइमिंग 9:15 AM से 3:30 PM बीच होती है और इस अवधि के अंदर आपको ट्रेडिंग करनी होती है। इसमें मुनाफा कमाने के लिए आपको चार्ट पेटर्न, कैंडल्स और टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी जानकारी होनी जरुरी है।
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। इंट्राडे ट्रेडिंग में जोखिम अधिक होता है क्योंकि कीमत बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading)
ऑप्शन ट्रेडिंग एक वित्तीय विकल्प है जिसमें एक ट्रेडर को एक निश्चित समय पर एक निश्चित कीमत पर एक निश्चित संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार होता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग एक कॉन्ट्रेक्ट है जो खरीदार और विक्रेता को कुछ प्रीमियम का भुगतान करके एक निश्चित तिथि पर स्ट्राइक मूल्य पर सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। ऑप्शन ट्रेडिंग कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन पर निर्भर करती है।
बैंकनिफ्टी, स्टॉक्स, निफ्टी जैसी किसी भी सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट दो प्रकार के विकल्प हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन खरीदे और बेचे जाते हैं। मार्केट में तेजी आने पर कॉल ऑप्शन और मंदी के समय पुट ऑप्शन ख़रीदा जाता है।
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
स्कल्पिंग ट्रेडिंग बहुत ही त्वरित ट्रेडिंग है। इंट्राडे ट्रेडिंग की तरह यह भी शेयर मार्किट के ओपन और उसके बंद होने के बीच में की जाती है। स्कल्पिंग ट्रेडिंग के अंदर जो ट्रेडिंग एक्टिविटी होती है वह एक मिनट से लेकर दो मिनट के बीच में होती है।
इसमें एक व्यापारी एक मिनट से दो मिनट की छोटी समय सीमा का विश्लेषण करता है और एक छोटे बिंदु के लिए बड़ी मात्रा में व्यापार करता है। यानि ट्रेडर को कुछ मिनटों में शेयर की खरीद और बिक्री करनी होती है यहाँ ट्रेडर कुछ ही मिनट में ट्रेड करके मुनाफा कमा सकते है।
पोजीशन ट्रेडिंग (Positional Trading)
पोजीशन ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है इसमें किसी कंपनी के शेयर को आमतौर पर एक हफ्ते या एक महीने या फिर कम से कम एक साल के लिए होल्ड किया जाता है। इसमें ट्रेडर को लगातार मार्किट पर नज़र रखने की जरूरत नहीं होती है।
यह ट्रेड उन व्यक्तियों के लिए आदर्श है जो बाज़ार पेशेवर या बाज़ार के नियमित भागीदार नहीं हैं। इसमें जोखिम कम होता है साथ ही शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के मुकाबले में ज़्यादा मुनाफ़े की संभावना अधिक होती है।
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स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा ट्रेडिंग स्टाइल है जंहा स्टॉक को तीन दिन से लेकर 10-15 दिनों के लिए होल्ड किया जाता है। स्विंग ट्रेडिंग में आप ऊपर की गति पकड़ने की कोशिश करते हैं। इसका उपयोग स्टॉक खरीदने के कुछ दिनों के भीतर उससे लाभ अर्जित करने के लिए किया जाता है।
इसके तहत व्यापारी शेयर बाजार से कम कीमत पर शेयर खरीदकर कुछ दिन और हफ़्तों के लिए होल्ड करते हैं और कीमत बढ़ने पर शेयर बेचकर मुनाफा कमाते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading)
डिलीवरी ट्रेडिंग आम तौर पर इंट्राडे ट्रेडिंग के मुकाबले में कम जोखिम भरा माना जाता है यह बिना कोई टाइम लिमिट के कार्य करता है।
इसका अर्थ ये है कि ट्रेडर जब मन चाहे स्टॉक बेच सकते हैं। इसमें ट्रेडर के पास अधिकार होता है कि वह अपने अनुसार शेयर को होल्ड कर सकता है।
यह ट्रेडिंग स्ट्रटेजी उन लोगो के लिए अच्छा विकल्प जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने और रखने की अवधि दो दिन, एक सप्ताह, एक महीने या एक साल तक चल सकती है। ट्रेडिंग की इस पद्धति में, शेयर कब बेचे जा सकते हैं इसकी कोई समय सीमा नहीं है।