Option Trading in Hindi – ऑप्शन ट्रेडिंग एक समझौता होता है। भारत में भी इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। यह कॉन्ट्रेक्ट एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच में होता है। बड़ी संख्या में आज लोग शेयर मार्किट की तरफ रुझान कर रहे है।
ऑप्शन ट्रेडिंग शेयरों में ट्रेड का एक साधन है जिसके जरिए कई लोग शेयर मार्किट में ऑप्शन ट्रेडिंग से लाखो रूपये कमा रहे है। ऑप्शन ट्रेडिंग शुरूआती ट्रेडर (बिगिनर्स) के लिए थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है लेकिन आप ऑप्शंस ट्रेडिंग सही ज्ञान के साथ सीख सकते है। इसे सीखने में कुछ महीनो का समय लग सकता है।
यदि आप सही ज्ञान के साथ इसे सीख लेते है तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपके लिए पैसा कमाने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स, ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम, Option Trading Tips in Hindi, Option Trading Kya Hai और ट्रेडिंग कैसे करते है?
ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? – What is Option Trading in Hindi?
Option Trading को विकल्प निवेश (Option Investing) के रूप में भी जाना जाता है, ऑप्शन ट्रेडिंग एक फाइनेंसियल ऑप्शन है जिसमें एक व्यक्ति या निवेशक (Investor) किसी विशिष्ट समय पर एक निश्चित मूल्य पर किसी निश्चित संपत्ति (Asset) को खरीदने या बेचने का अधिकार रखता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसा व्यापार योग्य अनुबंध (contract) है जो खरीदार और विक्रेता को कुछ प्रीमियम का भुगतान करके एक निश्चित तिथि पर किसी Strike Price पर प्रतिभूतियों को खरीद और बेच सकते है। ऑप्शन व्यापार (Options Trading) में कॉल और पुट ऑप्शन खरीदे और बेचे जाते हैं।
यदि किसी को लगता है की भविष्य में किसी शेयर के प्राइस बढ़ने वाले है तो वह ऑप्शन ट्रेडिंग में जरिए उस शेयर को बिना पूरे पैसे दिए एक छोटी प्रीमियम राशि देकर भविष्य के लिए शेयर को खरीद या फिर बेच सकता है।
निवेशको द्वारा विभिन्न वित्तीय उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग का उपयोग किया जाता है। साथ ही यह आपको ज्यादा नुकसान से भी बचता है।
अगर भविष्य में शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है तो आपको केवल उतना ही पैसो का नुकसान होगा जितना अपने प्रीमियम दिया होगा।
ऑप्शन ट्रेडिंग को Financial Option या मार्केटिंग योजना के रूप में भी जाना जाता है, इसमें इन्वेस्टर्स इस बात का निष्कर्ष निकालने के लिए इसका उपयोग करते है कि निकट भविष्य में संपत्ति का मूल्य कितना अधिक या कम होगा। वास्तव में कोई संपत्ति खरीदने की आवश्यकता के बिना।
यह निवेशक को एक निश्चित अवधि के बाद पहले से ही तय पूर्व-निर्धारित दर पर सिक्योरिटीज, ETFs या इंडेक्स फंड जैसे कई उपकरणों में ट्रेडिंग करने की अनुमति देता है।
उदाहरण के साथ समझे कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
उदाहरण: मान लीजिए कि आप एक बिजनेसमैन है और आप कारोबार शुरू करना चाहते है। इसके लिए आपको एक जमीन की जरूरत है।
आपको पता चलता है कि सरकार हाईवे का नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है जहां यह प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है वहां आपको 25 लाख रुपयें में एक जमीन मिल रही है।
अब आपको पता है की अगर आपने अभी जमीन नहीं खरीदी तो भविष्य में हाईवे बनकर तैयार होने के बाद उस जमीन की कीमत में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
लेकिन मौजूदा समय में आपके पास केवल 15 लाख रुपयें ही है। ऐसे में आप जमीन को अभी के Market Price यानि 25 लाख रुपयें में ही खरीदना चाहते है। तो आप जिसकी जमीन है उस व्यक्ति के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट कर सकते है।
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आप जमीन के मालिक को पूरे पैसे न देकर एक छोटी प्रीमियम अमाउंट लगभग 1.5 लाख रुपयें देकर यह कॉन्ट्रेक्ट कर सकते है कि आप 3 महीने बाद उस जमीन को 25 लाख में खरीदे लेंगे। यह कॉन्ट्रैक्ट आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
लेकिन वहीं भविष्य में किसी वजह से आप यह जमीन नहीं खरीदते है तो आपके द्वारा दी गई प्रीमियम अमाउंट को जमीन का मालिक रख सकता है।
ठीक इसी प्रकार ऑप्शन ट्रेडिंग काम करती है। ऑप्शन ट्रेडिंग के जरिये आप मार्केट में शेयर खरीद और बेच सकते है। यह आपको बड़ा लाभ कमाने में सहायता कर सकती है। साथ ही यह आपको बड़े नुकसान से भी बचती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं?
Option Trading कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के ऊपर निर्भर करती है। किसी भी प्रतिभूति जैसे बैंकनिफ्टी, निफ्टी, स्टॉक्स को खरीदने और बेचने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट दो प्रकार के आवश्यक ऑप्शन हैं।
कॉल ऑप्शन (Call Option) – कॉल ऑप्शन को Call European (CE) से दर्शाया जाता है। यह एक निश्चित कीमत पर निश्चित संपत्ति को खरीदने का अधिकार प्रदान करती है।
किसी इंडेस्क्स और स्टॉक की कीमतों के ऊपर जाने का अनुमान लगने पर कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए। जैसे-जैसे मार्किट में इंडेस्क्स और स्टॉक की कीमतों में बढ़ोतरी होती वैसे ही कॉल ऑप्शन की कीमत भी बढ़ती जाती है।
पुट ऑप्शन (Put Option) – पुट ऑप्शन को Put European (PE) से दर्शाते हैं। Put option एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित संपत्ति को बेचने का अधिकार देती है। मार्केट के इंडेक्स या स्टॉक की कीमतों में गिरावट का अनुमान लगने पर पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।
एक पुट ऑप्शन खरीदने पर यदि ऑप्शन की कीमत आपके बताए गए Price के अनुसार गिर जाती है, तो आप बहुत लाभ कमा सकते है।
लेकिन अगर कीमत में उछाल आने से वृद्धि हो जाती है और आप सही समय पर अपने ऑप्शन को बेचने से चूक जाते हैं, तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण टर्म
संचालन मूल्य (Strike Price): यह वह मूल्य है जिस पर एक Option की बिक्री या खरीदारी की जाती है।
प्रीमियम (Premium): यह वह राशि है जो एक Option को खरीदने या बेचने के लिए भुगतान की जाती है।
ऑप्शन ग्रीक्स (Option Greeks): ये विभिन्न पैरामीटर हैं जो ऑप्शन की मूल्य और Option के मूवमेंट को मान्यता देते हैं। ये ग्रीक्स आमतौर पर वेगा, थीटा, रो, गामा और डेल्टा होते हैं और Option Trading में महत्वपूर्ण हैं।
समय सीमा (Expiration Date): यह वह तारीख है जब एक ऑप्शन की मान्यता समाप्त होती है और Option का धन्यता करने का अधिकार समाप्त हो जाता है।
मार्जिन (Margin): यह एक निश्चित राशि है जो Trader को उचित माने गए मार्जिन या सुरक्षा राशि की जरूरत होती है जो ट्रेडर को अपनी खरीदारी या बिक्री (buy or sell) की अनुमति देती है।
निवेशक (Trader): यह व्यक्ति होता है जो ऑप्शन ट्रेडिंग में Option को खरीदने या बेचने का फैसला लेता है और ऑप्शन एक्सचेंज (Option Exchange) करता है।
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विनिमय (Exchange): यह एक माध्यम होता है जिसके माध्यम से ऑप्शन खरीदे और बेचे जा सकते हैं। Exchange Market में Option Trade किए जाते हैं और इन एक्सचेंज पर ऑप्शन की कीमतें निर्धारित होती हैं।
ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी (Trading Strategy): यह एक योजना होती है जिसका उपयोग ट्रेडर ऑप्शन (Trader Option) की खरीदारी या बिक्री करने के लिए करता है। ये एक निश्चित विश्लेषण और ताक पर आधारित होती है जो ट्रेडर को निर्णय लेने में काफी मदद करती है।
रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management): यह एक महत्वपूर्ण Trading Skill है जो ट्रेडर को उचित रूप से Risk को मैनेज करने में मदद करता है। रिस्क मैनेजमेंट यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेडर अपनी इन्वेस्टमेंट अमाउंट को संभालकर अतिरिक्त होने वाली हानि से बच सके।
ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
लिमिटेड रिस्क (Limited Risk): ऑप्शन ट्रेडिंग एक निश्चित रिस्क मैनेजमेंट मेथड है जो Trader को Risk को सीमित करने में बहुत मदद करती है।
ट्रेडर यहां एक पूर्व-निर्धारित मार्जिन अमाउंट का उपयोग करके इन्वेस्टमेंट करता है जो उन्हें होने वाली अतिरिक्त नुकसान से बचा सकता है।
लचीलेपन (Flexibility): ऑप्शन ट्रेडिंग ट्रेडर को अलग-अलग ऑप्शन को चुनने की अनुमति देती है, और उनकी investment strategy को लचीला बनाता है।
ट्रेडर यहां अलग-अलग ऑप्शन योजनाओं का उपयोग करके अलग-अलग नजदीकी और दूरी के स्तरों पर इन्वेस्टमेंट कर सकता है और अपनी exchange strategy को विविधता (Diversity) दे सकता है।
वैकल्पिक आय (Alternative Income): ऑप्शन ट्रेडिंग ट्रेडर को वैकल्पिक इनकम की संभावना प्रदान करती है। ट्रेडर यहां अपनी योजना के अनुसार अधिक से अधिक लाभ या अधिकतम प्राप्ति के लक्ष्य पर इन्वेस्टमेंट कर सकता है और अपनी निवेश रणनीति (investment strategy) को आयोजित कर सकता है।
समय की गुणवत्ता (Quality of Timing): ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेडर को समय की गुणवत्ता का बहुत ध्यान देना पड़ता है। ट्रेडर यहां अलग-अलग समय सीमाओं पर ऑप्शन खरीदने और बेचने की अनुमति देती है जैसे कि दिन या महीने के अंतराल पर, जो ट्रेडर को ट्रेड की समय सीमा की निगरानी करने में काफी मदद करता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें? – How to do Option Trading?
आज के इस डिजिटल दौर में अपने स्मार्ट मोबाइल में ऑप्शन ट्रेडिंग आसानी से कर सकते है ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आप अपने स्मार्ट मोबाइल में ट्रेडिंग एप इनस्टॉल करना होगा उसके बाद आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है।
वस्तु बाजार (Commodity Market) में Option trading शुरू करने के लिए सबसे पहले आपका एक ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) का होना बहुत जरूरी है। यदि पहले से ही आपका फ्यूचर मार्किट में अकाउंट है तो आपको अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा।
इसके माध्यम से ही इन्वेस्टर कमोडिटी एक्सचेंज (commodity exchange) में Future या Option में किसी भी संपत्ति को खरीद या बेच सकते हैं।
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